गोरखपुर में पिछले सात दिनों में हुई करीब 70 बच्चों की मौत ने योगी सरकार को स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले निशाने पर ला दिया है. इस घटना को लेकर पूरे देश में रोष है. विपक्ष ही नहीं सरकार की सहयोगी पार्टियां भी योगी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही हैं. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने भी इस घटना को लेकर योगी सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार पर भी निशाना साधा है. सामना ने अपने संपादकीय में उत्तर प्रदेश की इस घटना को 'सामूहिक बालहत्या' करार दिया है.
सामना ने लिखा है, "उत्तर प्रदेश का बाल हत्या तांडव- स्वतंत्रता दिवस का अपमान है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में 70 बच्चों की मौत को 'सामूहिक बालहत्या' ही कहेंगे, यह गरीबों की बदकिस्मती है. गरीबों का दुख, उनकी वेदना और उनकी 'मन की बात ' को समझने के बजाए, उनकी वेदनाओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है. जो हुआ है... उसके लिए जिम्मेदार कौन है."
अपनी टिप्पणी में सामना ने मोदी सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए लिखा है, "केंद्र में सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद, आज भी सरकारी अस्पतालों में गरीब और ग्रामीण लोगों के लिए 'अच्छे दिन' नहीं आए हैं."
सामना में आगे योगी कैबिनेट के हेल्थ मिनिस्टर पर निशाना साधते हुए लिखा गया है, "उत्तर प्रदेश के आरोग्य मंत्री का कहना है कि अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं. तो हमारा सवाल है कि... अगस्त के महीने में सिर्फ गरीबों के बच्चे ही क्यों मरते हैं- क्यों अमीरों के बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता."
सामना ने इस हृदयविदारक घटना को स्वतंत्रता की विफलता करार दिया है. उसने लिखा है, "गरीबों का दुख और उनकी वेदना राजनेताओं को झंझोड़ती नहीं है... यही हमारे स्वतंत्रता की विफलता है."
सामना ने लिखा है, "उत्तर प्रदेश का बाल हत्या तांडव- स्वतंत्रता दिवस का अपमान है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में 70 बच्चों की मौत को 'सामूहिक बालहत्या' ही कहेंगे, यह गरीबों की बदकिस्मती है. गरीबों का दुख, उनकी वेदना और उनकी 'मन की बात ' को समझने के बजाए, उनकी वेदनाओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है. जो हुआ है... उसके लिए जिम्मेदार कौन है."
अपनी टिप्पणी में सामना ने मोदी सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए लिखा है, "केंद्र में सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद, आज भी सरकारी अस्पतालों में गरीब और ग्रामीण लोगों के लिए 'अच्छे दिन' नहीं आए हैं."
सामना में आगे योगी कैबिनेट के हेल्थ मिनिस्टर पर निशाना साधते हुए लिखा गया है, "उत्तर प्रदेश के आरोग्य मंत्री का कहना है कि अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं. तो हमारा सवाल है कि... अगस्त के महीने में सिर्फ गरीबों के बच्चे ही क्यों मरते हैं- क्यों अमीरों के बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता."
सामना ने इस हृदयविदारक घटना को स्वतंत्रता की विफलता करार दिया है. उसने लिखा है, "गरीबों का दुख और उनकी वेदना राजनेताओं को झंझोड़ती नहीं है... यही हमारे स्वतंत्रता की विफलता है."
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