'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत अब खुले में शौच करना लोगों के लिए धीरे-धीरे परेशानी का कारण बनता जा रहा है. राजस्थान के भीलवाड़ा में खुले में शौच करने और घर में शौचालय नहीं बनवाने पर जिला प्रशासन सख्ती अपना रहा है. जहाजपुर जिला प्रशासन ने गांव गांगीथला में घर में शौचालय नहीं होने पर बिजली कनेक्शन काटने के आदेश दे दिए हैं.
इस संबंध में पत्र लिखकर आदेश दिया गया है कि गांगीथला में सिर्फ 19 प्रतिशत ही शौचालय हैं, और अधिकतर ग्रामीण खुले में ही शौच जाते हैं. बार-बार समझाने पर भी ग्रामीण शौचालय का निर्माण नहीं करवा रहे हैं. गांववालों को घर में शौचालय बनवाने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. इसके बाद खुले में शौच करने पर बिजली कनेक्शन काट दिए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है.
इससे पहले राजस्थान के फैमिली कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए घर में टॉयलेट नहीं होने को क्रूरता मानते हुए एक महिला की तलाक की याचिका मंजूर कर ली थी. भीलवाड़ा के फैमिली कोर्ट में एक महिला ने याचिका दी कि ससुराल में शौचालय नहीं होने की वजह से वह पीहर (पिता का घर) में रह रही है. बार-बार कहने पर भी उसके पति और ससुराल वाले घर में शौचालय नहीं बनवा रहे हैं. महिला की याचिका को मंजूर करते हुए जज राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि यह तो महिला के प्रति क्रूरता है और सामाजिक कलंक है.
कोर्ट ने फैसले में कहा था कि क्या कभी यह दर्द हुआ कि घर की मां-बहनों को खुले में शौच जाना पड़ता है. ग्रामीण महिलाएं शौच के लिए रात की प्रतिक्षा करती हैं. तब तक वह बाहर नहीं जा सकती है. किसी ने यह महसूस किया कि कैसी उनकी शारीरिक और मानसिक पीड़ा होती होगी. ऐसे दौर में खुले में शौच की कुप्रथा समाज पर कलंक है. शराब, तंबाकू पर बेहिसाब खर्च करने वालों के घर शौचालय न होना विडंबना है.

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