जन्मदिन पर मां का आशीर्वाद लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. गुजरात के 56 साल लंबे इंतजार को पूरा करेंगे और सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन करेंगे. इस बांध से गुजरात के बड़े इलाके में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा. बांध से बिजली उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी. पीएम मोदी के हाथों बांध के 30 गेट खुलेंगे तो पानी गुजरात में उम्मीदों की धारा लेकर बढ़ेगा और मध्य प्रदेश के सैंकड़ों गांव... अपने अस्तित्व के मिट जाने की तैयारी कर रहे होंगे.
नर्मदा नदी पर बनकर तैयार यह बांध दुनिया में दूसरे नंबर का और अपने देश का सबसे ऊंचा बांध है. बांध की ऊंचाई 138 मीटर है और इस ऊंचाई को पाने में सरदार सरोवर ने 56 साल के विवादों का लंबा सफर तय किया है.
सैकड़ों गांवों के गुम हो जाने की दर्दनाक हकीकत
दूसरी ओर इस बांध के साथ जुड़ा है सूखे से हरे होने का सपना और सैंकड़ों गांवों के गुम होने जाने की दर्दनाक हकीकत. सरदार सरोवर के साथ राजनीति के लंबे दांवपेंच भी चले. मामला कोर्ट तक पहुंचा. बरसों तक डूब में आने वाले गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह किया और इन सबके साथ बांध का काम रुक-रुक कर आगे बढ़ता रहा.
56 साल बाद सरदार सरोवर बांध अपनी पूरी क्षमता के साथ पानी और बिजली देने के लिए तैयार है. गुजरात के लिए ये मौका बेहद खास है और इसलिए उद्घाटन की पूर्व संध्या को भी यादगार बनाने की पूरी तैयारी की गई. लेजर की रंग बिरंगी रोशनी से बांध के 30 गेटों को सजाया गया. रौशनी से नर्मदा के 30 गेटों पर तरह - तरह की कलाकृतियां बन रही थी.
सरदार पटेल का था सपना
सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है, तो इसकी तैयारियां भी कई दिनों से चल रही हैं. बांध के इस पूरे इलाके पर केसरिया रंग का ताना बाना बिखरा है. यहां सरदार पटेल की मूर्ति भी रखी गयी है. ये प्रोजेक्ट सरदार वल्लभ भाई पटेल का सपना था कि गुजरात का किसान पानी की किल्लत की वजह से अपनी पूरी फसल नही ले पाता है, उसे इस बांध से फायदा मिले.
गुजरात को मिलेगा 40 फीसदी ज्यादा बिजली
138 मीटर ऊंचे सरदार सरोवर बांध की जल भंडारण क्षमता अब 4,25,780 करोड़ लीटर हो चुकी है. ये पानी पहले बह कर समुद्र में चला जाया करता था.
2016-17 के दौरान बांध से 320 करोड़ यूनिट बिजली पैदा की गई. अब ज्यादा पानी जमा होने से 40 फीसदी ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है. सरदार सरोवर डैम से बनी बिजली का 57 फीसदी महाराष्ट्र को, 27 फीसदी मध्य प्रदेश को और 16 फीसदी गुजरात को मिलेगा.
महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात को मिलेगा फायदा
बांध से गुजरात के हजारों गांवों के साथ महाराष्ट्र के 37, 500 हेक्टेयर इलाके तक सिंचाई की सुविधा होगी. राजस्थान के दो सूखा प्रभावित जिले जालौर और बाड़मेर तक 2,46,000 हेक्टेयर जमीन की प्यास बुझेगी. गुजरात के 9,633 गांवों तक पीने का पानी पहुंचेगा. यानी सरदार सरोवर बांध से गुजरात के साथ महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को फायदा मिलने वाला है.
1961 में रखी गई थी बांध की आधारशिला
नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने 16 जून को डैम के सभी गेट बंद करने आदेश दिया और बांध में जल का भराव 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138 मीटर कर दिया गया. इससे बांध की स्टोरेज क्षमता 1.27 मिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 4.73 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई.
बांध की आधारशिला 1961 में रखी गई और इसके निर्माण की शुरुआत 1987 में हुई. अधिकारियों ने बताया कि मुख्य और सब कैनाल नेटवर्क का काम पूरा हो गया है. लेकिन छोटे-छोटे कैनालों का 30 प्रतिशत काम अभी किया जाना है. बांध को बनाने में जितना कंक्रीट लगा है, उसके मुताबिक यह सबसे बड़ा बांध है. अमेरिका के ग्रैंड कौली डैम के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.
बांध को बंद करने में लगता है एक घंटे का समय
1.2 किलोमीटर लंबा बांध 163 मीटर गहरा है. बांध के दो पावर हाउसों बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस की क्षमता क्रमशः 1,200 मेगावॉट और 250 मेगावॉट है. सरदार सरोवर बांध से अब तक 16,000 करोड़ से ज्यादा की कमाई हो चुकी है, जो कि इसकी लागत का दो गुना है. डैम का हर एक गेट करीब 450 टन का है और इसे बंद करने में करीब एक घंटे का समय लगता है.
सौ से ज्यादा गांवों का मिट जाएगा अस्तित्व
हालांकि सरदार सरोवर बांध से विवादों का भी नाता है और इसके पीछे वो हजारों लोग हैं, जिनके गांव का अस्तित्व सरदार सरोवर बांध में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा. बांध के 30 गेट के खुलते ही मध्य प्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट जाएंगे.
अदालत और राजनीतिक विवादों से गुजरते हुए मुकाम तक पहुंचे सरदार सरोवर बांध को पीएम नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर लोकार्पित कर रहे हैं. गुजरात में जश्न है तो मध्य प्रदेश में मायूसी.. देश के सबसे ऊंचे बांध का पहला पन्ना.. स्वागत और विरोध के दो सुरों के साथ ही लिखा जाना है.
नर्मदा नदी पर बनकर तैयार यह बांध दुनिया में दूसरे नंबर का और अपने देश का सबसे ऊंचा बांध है. बांध की ऊंचाई 138 मीटर है और इस ऊंचाई को पाने में सरदार सरोवर ने 56 साल के विवादों का लंबा सफर तय किया है.
सैकड़ों गांवों के गुम हो जाने की दर्दनाक हकीकत
दूसरी ओर इस बांध के साथ जुड़ा है सूखे से हरे होने का सपना और सैंकड़ों गांवों के गुम होने जाने की दर्दनाक हकीकत. सरदार सरोवर के साथ राजनीति के लंबे दांवपेंच भी चले. मामला कोर्ट तक पहुंचा. बरसों तक डूब में आने वाले गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह किया और इन सबके साथ बांध का काम रुक-रुक कर आगे बढ़ता रहा.
56 साल बाद सरदार सरोवर बांध अपनी पूरी क्षमता के साथ पानी और बिजली देने के लिए तैयार है. गुजरात के लिए ये मौका बेहद खास है और इसलिए उद्घाटन की पूर्व संध्या को भी यादगार बनाने की पूरी तैयारी की गई. लेजर की रंग बिरंगी रोशनी से बांध के 30 गेटों को सजाया गया. रौशनी से नर्मदा के 30 गेटों पर तरह - तरह की कलाकृतियां बन रही थी.
सरदार पटेल का था सपना
सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है, तो इसकी तैयारियां भी कई दिनों से चल रही हैं. बांध के इस पूरे इलाके पर केसरिया रंग का ताना बाना बिखरा है. यहां सरदार पटेल की मूर्ति भी रखी गयी है. ये प्रोजेक्ट सरदार वल्लभ भाई पटेल का सपना था कि गुजरात का किसान पानी की किल्लत की वजह से अपनी पूरी फसल नही ले पाता है, उसे इस बांध से फायदा मिले.
गुजरात को मिलेगा 40 फीसदी ज्यादा बिजली
138 मीटर ऊंचे सरदार सरोवर बांध की जल भंडारण क्षमता अब 4,25,780 करोड़ लीटर हो चुकी है. ये पानी पहले बह कर समुद्र में चला जाया करता था.
2016-17 के दौरान बांध से 320 करोड़ यूनिट बिजली पैदा की गई. अब ज्यादा पानी जमा होने से 40 फीसदी ज्यादा बिजली पैदा की जा सकती है. सरदार सरोवर डैम से बनी बिजली का 57 फीसदी महाराष्ट्र को, 27 फीसदी मध्य प्रदेश को और 16 फीसदी गुजरात को मिलेगा.
महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात को मिलेगा फायदा
बांध से गुजरात के हजारों गांवों के साथ महाराष्ट्र के 37, 500 हेक्टेयर इलाके तक सिंचाई की सुविधा होगी. राजस्थान के दो सूखा प्रभावित जिले जालौर और बाड़मेर तक 2,46,000 हेक्टेयर जमीन की प्यास बुझेगी. गुजरात के 9,633 गांवों तक पीने का पानी पहुंचेगा. यानी सरदार सरोवर बांध से गुजरात के साथ महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को फायदा मिलने वाला है.
1961 में रखी गई थी बांध की आधारशिला
नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने 16 जून को डैम के सभी गेट बंद करने आदेश दिया और बांध में जल का भराव 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138 मीटर कर दिया गया. इससे बांध की स्टोरेज क्षमता 1.27 मिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 4.73 मिलियन क्यूबिक मीटर हो गई.
बांध की आधारशिला 1961 में रखी गई और इसके निर्माण की शुरुआत 1987 में हुई. अधिकारियों ने बताया कि मुख्य और सब कैनाल नेटवर्क का काम पूरा हो गया है. लेकिन छोटे-छोटे कैनालों का 30 प्रतिशत काम अभी किया जाना है. बांध को बनाने में जितना कंक्रीट लगा है, उसके मुताबिक यह सबसे बड़ा बांध है. अमेरिका के ग्रैंड कौली डैम के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.
बांध को बंद करने में लगता है एक घंटे का समय
1.2 किलोमीटर लंबा बांध 163 मीटर गहरा है. बांध के दो पावर हाउसों बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस की क्षमता क्रमशः 1,200 मेगावॉट और 250 मेगावॉट है. सरदार सरोवर बांध से अब तक 16,000 करोड़ से ज्यादा की कमाई हो चुकी है, जो कि इसकी लागत का दो गुना है. डैम का हर एक गेट करीब 450 टन का है और इसे बंद करने में करीब एक घंटे का समय लगता है.
सौ से ज्यादा गांवों का मिट जाएगा अस्तित्व
हालांकि सरदार सरोवर बांध से विवादों का भी नाता है और इसके पीछे वो हजारों लोग हैं, जिनके गांव का अस्तित्व सरदार सरोवर बांध में हमेशा के लिए गुम हो जाएगा. बांध के 30 गेट के खुलते ही मध्य प्रदेश के 192 गांव, महाराष्ट्र के 33 और गुजरात के 19 गांव नक्शे से मिट जाएंगे.
अदालत और राजनीतिक विवादों से गुजरते हुए मुकाम तक पहुंचे सरदार सरोवर बांध को पीएम नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर लोकार्पित कर रहे हैं. गुजरात में जश्न है तो मध्य प्रदेश में मायूसी.. देश के सबसे ऊंचे बांध का पहला पन्ना.. स्वागत और विरोध के दो सुरों के साथ ही लिखा जाना है.
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