पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना। गरीबी और कुपोषण मुक्त समाज को लेकर दावे चाहे जो भी हों, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही कहती है. सोमवार को कुपोषण के पड़ताल में जब हम पटना जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर कुरकुरी गांव पहुंचे तो वहां के माहौल, बच्चाें की सेहत, रहन-सहन सबकुछ बयां कर रही थी. फुलवारी शरीफ प्रखंड के इस महादलित बस्ती में जाते ही एक झुग्गी-झोपड़ी नजर आया, जहां औरतें बैठ कर कुछ काम कर रही थीं. नंग-धड़ंग बच्चों का हुजूम था. कुछ बच्चे खा रहे थे, कुछ खेलने में जुटे थे.
हमने जब अपने मोबाइल से उनकी तसवीर लेनी चाही तो बच्चे भागने लगे और छोटे रोने लगे. उन्हीं में से एक साल का बच्चा दिखा. बच्चे का पेट उठा हुआ है और हाथ-पैर काफी पतले हैं.
बच्चे का नाम ऋतिक है और मां का नाम सुरसती देवी. मां सुरसती ने कहा कि पति परेमन कुमार मजदूरी का काम करते हैं. घर में खाना बामुश्किल नसीब होता है, रुखे-सूखे भोजन से बस किसी तरह से पेट पाला जा रहा है. नतीजा ऋतिक कुपोषण के कगार पर जा पहुंचा है. जानकार डॉक्टर इसे कुपोषण की शुरुआती लक्षण बता रहे हैं.
आदमपुर मुसहरी की संगीता पहले कुपोषित थी अब टीबी की शिकार: दानापुर प्रखंड के आदमपुर मुसहरी गांव पहुंच गये. यहां की रहने वाली विनती देवी ने बताया कि उसकी सात साल की बेटी संगीता पांच साल तक कुपोषण की मार झेल चुकी है. जिसके इलाज में पूरा परिवार कर्ज में डूब चुका है. हालांकि किसी तरह कुपोषण ठीक हुआ तो अब संगीता को टीवी की बीमारी हो गयी. बच्ची की बीमारी देख मां की सुनी आंखें सुख चली है और उसकी रोने की आवाज थमने का नाम नहीं ले रहे हैं और वो अपने खुरदरे हाथों में अपने बेटी संगीता के चेहरे को छिपा लेती हैं.
गांव के लोगों का कहना है कि यहां के अधिकांश लोगों का न तो राशन कार्ड बना है और नहीं यहां के आंगनबाड़ी में कोई कर्मचारी आते हैं नतीजा बच्चे न तो पढ़ाई कर पाते और नहीं उन्हें पौष्टिक भोजन मिल पा रहा. यही वजह है कि यहां करीब 10 घरों में बच्चे टीवी व कुपोषित का मार झेल रहे हैं. पिछड़ेपन की मार झेल रहे इस गांव में न तो सरकारी हैंडपंप है और नहीं अधिकांश लोगों को मकान मिला है.
बिहार में स्थिति और भयावह...
सरकारी आंकड़ों और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की रिपोर्ट की माने तो बिहार में कुल 44 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.
26 फीसदी बच्चे अति कुपोषित हैं. यूनिसेफ व मिशन मानव विकास की सर्वे रिपोर्ट देखें तो राज्य में छह माह से छह वर्ष तक आयु वर्ग के 44 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार पाये जा चुके हैं. वहीं भारत सरकार के आंगनबाड़ी प्रोग्राम के एक रिपोर्ट में पूरे भारत में 2.3 करोड़ बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार आंगनबाड़ी योजना से जुड़ने वाले 8 करोड़ बच्चों में से 28 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. रिपोर्ट में हर राज्य के अलग-अलग आंकड़े भी बताये गये हैं.
यह हैं बीमारी के प्रमुख कारण....
आंगनबाड़ी केंद्रों पर नाम मात्र सुविधाएं
गरीब परिवारों के बच्चों में कुपोषण ज्यादा
माताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी
पहले छह माह में केवल 49 फीसदी बच्चों को माताओं का दूध नसीब
किस राज्य में कितना कुपोषित बच्चे
बिहार 50 प्रतिशत
आंध्र प्रदेश 37 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश 36 प्रतिशत
दिल्ली 35 प्रतिशत
राजस्थान 32 प्रतिशत
एमपी व छत्तीसगढ़ 32 प्रतिशत
नोट: रिपोर्ट आंगनबाड़ी के एक प्रोग्राम व अलग-अलग संस्थानों के अंतर्गत है.
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